गुफाओं में रहने वाले आदि मानव को जब आग का ज्ञान हुआ और उसने इसे इस्तेमाल करना शुरू किया तो उसने देखा कि वह उसके लिये एक प्रकार का वरदान था शुरू-शुरू में मनुष्य आग से डरता था, लेकिन बाद में उसने आग की पूजा करनी शुरू की। आज भी आग हमारे जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। इसी से हमें गर्मी मिलती है, इसी से हमारा भोजन पकता है और अनेकों ईंधनों को जलाने से ही हमारी मशीनें चलती हैं। क्या तुम जानते हो आग क्या है, चीजें क्यों जलती हैं और जलने से गर्मी क्यों पैदा होती है?

18वीं सदी के अंत तक इन प्रश्नों का कोई उत्तर नहीं था, लेकिन आज का विज्ञान इन सभी प्रश्नों के उत्तर देने में समर्थ है। आग की प्रकृति को समझने के क्षेत्र में फ्रांस के रसायनशास्त्री ऐन्तोइने लैवोसिये (Antoine Lavoiser) का काम उल्लेखनीय है।
आग आक्सीजन और ईंधन के बीच में होने वाली एक ऐसी रासायनिक क्रिया का परिणाम है, जो हमें ज्वाला या लौ के रूप में दिखाई देती है। आग पैदा होने वाली किसी भी क्रिया में दो पदार्थों के संयोग (Combination) से एक या एक से अधिक नए पदार्थ बनते हैं। लकड़ी, कोयला, पैट्रोल, मिट्टी का तेल आदि सभी सामान्य ईंधनों मुख्य रूप से कार्बन और हाइड्रोजन होते हैं। जब ये पदार्थ जलते हैं तो आक्सीजन से संयोग में करके कार्बन डाइआक्साइड और पानी बनाते हैं। ज्वाला में कार्बन के चमकते कण और धूल के कण जो आग की गर्मी से लाल हो जाते हैं और हमें दिखाई देते हैं।
आग से चीजें क्यों जलती हैं
अब प्रश्न उठता है कि चीजें जलती क्यों हैं? जलने के लिए ऊष्मा की आवश्यकता होती है। किसी भी ईंधन के जलने के लिए यह जरूरी है कि उसे इसके ज्वलनांक (Ignition Point) तक गर्म किया जाए। जैसे ही यह स्थिति पहुंचती है इंधन जलना शुरू हो जाता है। इस क्रिया में पैदा हुई ऊष्मा जलने की इस क्रिया को ईंधन के समाप्त होने तक जारी रखती है।
आग जलने से गर्मी क्यों पैदा होती है
आक्सीजन के अणुओं द्वारा ईंधन के अणु तोड़ दिए जाते हैं। इन टूटे हुए अणुओं से आक्सीजन संयोग करती है और संयोग करने से ऊर्जा पैदा होती है, जो हमें ऊष्मा के रूप में मिलती है
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जलना या दहन (Combustion) दो प्रकार का होता है। एक तेज दहन और दूसरा मन्द दहन। तेज दहन में ऊष्मा और प्रकाश दोनों ही पैदा होते हैं। ईंधनों का जलना तेज दहन का उदाहरण है। मन्द दहन में आक्सीकरण की क्रिया धीरे-धीरे होती है। इसमें जितनी ऊष्मा पैदा होती है उतनी ही वातावरण में जाती रहती है। इस दहन में ज्वाला पैदा नहीं होती। इस प्रकार की मन्द दहन की क्रियाएं हमारे शरीर में भोजन के आक्सीकरण में होती रहती हैं। इन क्रियाओं में पैदा हुई ऊर्जा से हमारे शरीर को गर्मी प्राप्त होती है।