यदि कच्चा या ताजा दूध कुछ देर तक न उबाला जाए तो वह फट जाता है। लेकिन दूध उबाल कर रखने पर कई घन्टों तक खराब नहीं होता। ऐसा दूध में रहने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है आइये जानते है इसके पीछे का लॉजिक

कच्चा दूध खराब क्यों हो जाता है
ताजे दूध में कई प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते है। जब दूध वायु के सम्पर्क में आता है तो कुछ ही समय में इन बैक्टीरिया की संख्या बहुत बढ़ जाती है। इन्हीं की वृद्धि के कारण दूध खट्टा हो जाता है। ये बैक्टीरिया दूध में मुख्य रूप से तीन प्रकार से आते हैं।
- भैंस या गाय से, जिससे दूध निकाला जाता है, यदि भैंस या गाय किसी रोग से पीड़ित हैं तो उस रोग के बैक्टीरिया दूध में आ जाते हैं।
- यदि दूध दुहने वाले व्यक्ति को कोई छूत की बीमारी है तो उस व्यक्ति से दूध में बैक्टीरिया आ सकते हैं।
- दूध दुहने से पहले थनों को धोने के लिए प्रयोग में लाए गए पानी में भी बैक्टीरिया हो सकते हैं।
यही बैक्टीरिया तेजी के साथ अधिक संख्या में पैदा होकर दूध को खट्टा कर देते हैं।
पैक किया हुआ दूध खराब क्यों नहीं होता
कच्चा दूध को अधिक उबालने से भी उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। बाजार में बिकने वाले मक्खन और दूध के पैकिटों पर आमतौर पर पैस्चराइज्ड बटर या मिल्क लिखा होता है। इस दूध और मक्खन को पास्तेरीकरण करके बन्द किया जाता है। इसी कारण से पैक किया हुआ दूध खराब नहीं होता। दूध को खराब होने से बचाने का सबसे उत्तम तरीका सन् 1860 में फ्रान्स के वैज्ञानिक लुइस पैस्च्योर (Louis Pasteur) ने खोजा था। इस तरीके को उनके नाम पर पास्तेरीकरण (Pasteurization) कहते हैं।
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दूध का पाश्चुरीकरण कैसे किया जाता है?
पास्तेरीकरण की क्रिया में दूध, शराब, मक्खन आदि जैसे खराब होने वाले पदार्थों को किसी निश्चित तापमान एवं निश्चित समय तक गर्म करके बैक्टीरिया को नष्ट कर दिया जाता है। यदि दूध को 72°C तक केवल 15 सेकिण्ड तक गर्म करके ठंडा कर दिया तो भी दूध में उपस्थित बैक्टीरिया मर जाते हैं। इस तरीके से दूध को खट्टा करने वाले बैक्टीरिया तो मर जाते हैं, साथ ही साथ तपेदिक और दूसरे रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया भी मर जाते हैं। इस प्रकार गर्म किए हुए दूध को बिना खराब हुए अधिक समय तक रखा जा सकता है।
नोट :- आजकल पास्तेरीकरण के लिए पेय पदार्थों पर गामा किरणें या बीटा किरणें (Gamma rays or Beta rays) डालकर भी बैक्टीरिया नष्ट कर दिए जाते हैं।