यह देखा गया कुछ लोग नींद में खर्राटे की बड़ी विचित्र आवाज पैदा करते हैं। नींद में उनका मुँह थोड़ा सा खुला रहता है और सास लेते समय उनके मुंह से घर-घर की आवाज आती है। क्या तुम जानते हो लोग नींद में खर्राटे क्यों लेते ?

खर्राटे आने के कारण और परेशानी
सामान्य रूप से सभी लोग नाक द्वारा सांस लेते हैं। कुछ लोगों को जिनकी नाक अक्सर बन्द रहती है उनको मुंह से सांस लेने की बुरी आदत पड़ जाती है। सोते समय जो लोग मुंह से सांस लेते हैं वे ही खराटे की आवाज पैदा करते हैं। अब प्रश्न उठता है कि सोते समय मह से सांस लेने पर खराटे की आवाज क्यों पैदा होती है जबकि जागते समय मुंह से सांस लेने पर ऐसी आवाज पैदा नहीं होती?
जब हम जगे हुए होते हैं तब हमारे मुंह के अंदर गले के पास की त्वचा सख्त और तनी हुई रहती है, लेकिन सोते समय यह कुछ ढीली पड़ जाती है। मुंह से सांस लेने पर ढीली त्वचा वायु के दबाव द्वारा कंपन करने लगती है। त्वचा के इसी कंपन के फलस्वरूप एक आवाज निकलने लगती है। इसी आवाज को दूसरे लोग खटि के रूप में सुनते हैं। इस खरटि की आवाज के कारण एक ही कमरे में सोये हुए दूसरे व्यक्तियों की नींद में भी खलल पड़ जाता है।
खर्राटों से छुटकारा पाने के लिए क्या करें
क्या सोते समय खरटि को रोकने का कोई उपाय है? यदि हम सोने से पहले अपनी नाक और मुंह भली-भांति साफ कर लें तो सोते समय खराटे को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। ऐसा करने से नाक का रास्ता साफ हो जाता है। मुंह को साफ करने से गला भी साफ हो जाता है। नाक और मह साफ होने से नाक द्वारा सांस लेने की सम्भावना बढ़ जाती है। मुंह से सांस लेने की आदत छोड़ देने पर भी सोते समय खराटे नहीं आते। आमतौर पर जिन लोगों की नाक नज़ला आदि के कारण रुकी रहती है उन्हें मुंह से सांस लेने की आदत पड़ जाती है।
सोते समय खर्राटे लेने से क्या होता है
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी नींद में खर्राटे या मुंह से सांस लेना हानिकारक है। वायु में उपस्थित रोग के कीटाणु और धूल कण मुंह के द्वारा सीधे ही हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। नाक के अंदर उपस्थित बाल इन कीटाणुओं को और धूलकणों को शरीर के अंदर जाने से रोकते हैं। लेकिन मुंह के भीतर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। अतः हर व्यक्ति को नाक से सांस लेने की आदत डालनी चाहिए।