
जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय और उनकी प्रमुख रचनाओं के माध्यम से इनके कविता, कहानी, नाटक और निबन्ध आदि सभी क्षेत्रों में इनकी प्रतिभा के दर्शन होते हैं।
जयप्रकाश भारती का जीवन परिचय
जयप्रकाश भारती का जन्म सन् 1937 ई० में उत्तर प्रदेश के प्रमुख नगर मेरठ में हुआ। इनके पिता श्री रघुनाथ सहाय मेरठ के प्रसिद्ध एडवोकेट और कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। भारतीजी ने बी०एस सी० तक की शिक्षा मेरठ में ही पूरी की। छात्र जीवन में इन्होंने अपने पिता को अनेक प्रकार की सामाजिक गतिविधियों में संलग्न देखा साक्षरता के प्रसार में इन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया तथा अनेक वर्षों तक मेरठ में निःशुल्क प्रौढ़ रात्रि पाठशाला’ का संचालन किया। 5 फरवरी, सन् 2005 को इनका देहावसान हो गया।
सम्पादन के क्षेत्र में इनकी विशेष रुचि रही। इन्होंने ‘सम्पादन-कला-विशारद की उपाधि प्राप्त करके मेरठ से प्रकाशित ‘दैनिक प्रभात तथा दिल्ली से प्रकाशित ‘नवभारत टाइम्स’ में पत्रकारिता का व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया। ये अनेक वर्षों तक दिल्ली से प्रकाशित ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान के सह-सम्पादक भी रहे। इन्होंने प्रख्यात बाल-पत्रिका ‘नन्दन’ के सम्पादक- पद को नवम्बर 2008 तक सुशोभित करते हुए इस पत्रिका का सम्पादन किया।
जयप्रकाश भारती का साहित्यिक विशेषताएँ
जयप्रकाश भारती ने लेखन और पत्रकारिता दोनों ही क्षेत्रों में विशेष ख्याति अर्जित की। श्रेष्ठ बाल साहित्य तथा साहित्यिक भाषा में वैज्ञानिक विषयों पर रचना कार्य करने में ये सिद्धहस्त रहे हैं। इस दिशा में इन्होंने कई साहित्यिक अभावों की पूर्ति की। सरस एवं सरल भाषा में किसी भी गम्भीर विषय को बोधगम्य एवं रुचिप्रद बना देने की योग्यता के कारण इनका साहित्य अत्यन्त लोकप्रिय हुआ है।
एक सफल पत्रकार तथा सशक्त लेखक के रूप में हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने की दृष्टि से भारतीजी का उल्लेखनीय योगदान रहा है। अनवरत साहित्य साधना में संलग्न रहकर इन्होंने सौ से भी अधिक पुस्तकों का सम्पादन और सृजन किया है। इनके साहित्यिक जीवन का प्रारम्भ पत्रकारिता से हुआ। पत्रकारिता के क्षेत्र में भारतीजी ने पर्याप्त प्रशिक्षण और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया। सरल एवं रोचक भाषा में ज्ञानोपयोगी सामग्री को प्रकाशित करना इनकी पत्रकारिता का प्रमुख उद्देश्य रहा। इन्होंने बाल साहित्य से सम्बन्धित अनेक महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी रचनाओं का सृजन किया। बाल साहित्य पर पर्याप्त लेखन के कारण ये किसी भी नीरस एवं गम्भीर विषय को सरल एवं सरस भाषा में प्रस्तुत करने में सक्षम थे। बालकों एवं किशोरों के ज्ञानवर्द्धन हेतु इन्होंने नैतिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक विषयों पर लेखनी चलाकर बाल साहित्य को बहुत समृद्ध बनाया।
जयप्रकाश भारती का प्रमुख कृतियाँ
भारतीजी की अनेक पुस्तकें यूनेस्को और भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत की गई हैं। इनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं- हिमालय की पुकार’, ‘अनन्त आकाश’, ‘अथाह सागर’, ‘विज्ञान की विभूतियाँ’, ‘देश हमारा देश हमारा, ‘चलें, चाँद पर चलें, ‘सरदार भगतसिंह’, ‘हमारे गौरव के प्रतीक’, ‘उनका बचपन यूँ बीता’, ‘ऐसे थे हमारे बापू’, ‘लोकमान्य तिलक’, ‘बर्फ की गुड़िया’, ‘अस्त्र-शस्त्र आदिम युग से अणु युग तक’, ‘भारत का संविधान’, ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’, ‘दुनिया रंग-बिरंगी ।
जयप्रकाश भारती भाषा शैली
वर्णनात्मक शैली :- भारतीजी की रचनाओं में मुख्यतः सरल वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
चित्रात्मक शैली :- भारतीजी की रचनाओं में सजीव चित्रात्मक शैली के दर्शन होते हैं। सरल शब्दों एवं वाक्य-रचनाओं के द्वारा दृश्यों एवं घटनाओं का सजीव चित्रांकन इनकी इस शैली की विशिष्टता है।
भावात्मक शैली :- भारतीजी ने यत्र-तत्र अपनी रचनाओं में भावात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। इनकी अन्य शैलियों की भाँति भावात्मक शैली में भी सरलता के गुण विद्यमान हैं।
बाल साहित्य एवं वैज्ञानिक लेखों के क्षेत्र में प्रसिद्ध हुए हैं, फिर भी इन्होंने लेख, कहानियाँ एवं रिपोर्ताज आदि अन्य साहित्यिक क्षेत्रों में भी हिन्दी साहित्य को सम्पन्न किया है। वैज्ञानिक विषयों को हिन्दी में प्रस्तुत करके तथा उसे सरल, रोचक, उपयोगी और चित्रात्मक बनाकर इन्होंने हिन्दी साहित्यकारों का मार्गदर्शन किया हैं।