तारापुंज क्या है? आकाश में किसी विशेष आकृति, वस्तु या जानवर जैसे दिखने वाले तारों के समूह को तारापुंज कहते हैं। प्राचीन काल में जब मनुष्य ने तारों का अध्ययन करना शुरू किया तो उसने देखा कि तारों के बहुत से ऐसे समूह हैं जिनको अलग-अलग काल्पनिक रेखाओं द्वारा जोड़ने पर किसी जानवर या वस्तु का चित्र उभरता हुआ प्रतीत होता है। किसी प्रकार के तारों के समूहों को तारापुंज कहा जाने लगा। उसने इन समूहों को उभरने वाले चित्र के आधार पर नाम देना शुरू कर दिया। अब तक 88 तारापुंजों का नामकरण किया जा चुका है

तारापुंज कब और कैसे दिखाई देते है
इनमें से बहुत से तारापुंजों को उत्तरी गोलार्द्ध से देखा जा सकता है। कुछ ऐसे हैं जिन्हें सिर्फ दक्षिणी गोलार्द्ध से देखा जा सकता है। लिओ (Leo) लायन (Lion) टौरस (Taurus) बुल (Bull) उर्सा मेजर (Ursa Major). द ग्रेट बीअर (The Great Bear). ओरियन (Orion) द हन्टर (The Hunter) साइग्नस (Cygnus) स्वान (Swan) आदि मुख्य तारापुंज हैं। इन सभी तारापुंजों के चार्ट बने हुए हैं। इन चाटों की सहायता से आकाश में इन तारापुंजों को देखा जा सकता है। कुछ तारापुंज ऐसे हैं जो गर्मी के मौसम में दिखाई देते हैं और दूसरे कुछ ऐसे हैं जो जाड़े में दिखाई देते हैं। अब आप समझ गए होंगे की तारापुंज क्या है
तारापुंज के उपयोग
प्राचीन काल में मनुष्य इन्हीं तारापुंजों की सहायता से समुद्री यात्राओं के दौरान दिशाएं ज्ञात किया करता था। इन तारापंजों और हमारी पृथ्वी की सापेक्ष स्थिति बदलती रहती है। केवल ध्रुवतारा (North star or Polaris) ही ऐसा है जिसकी स्थिति स्थिर रहती है। ध्रुवतारे की स्थिति जान लेने के बाद कई ता रापुंजों को ऊपर के चित्र द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है।
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खगोलविद्या के अध्ययन में इन तारापंजों का अपना विशेष महत्व है। इनकी सहायता से वैज्ञानिक दूसरे तारों की स्थिति आसानी से पता कर लेते हैं। जिस प्रकार धरती के शहरों, पहाड़ों, नदियों, समुद्रों आदि को प्रदर्शित करने के लिए अक्षांश और देशांतर रेखाओं का महत्त्व है, उसी प्रकार आकाश के तारों के अध्ययन में तारापुंजों का महत्त्व है। अन्तरिक्ष अभियानों में मार्गदर्शन के लिए तारापुंज बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुए हैं।