जब हम किसी पदार्थ को जलाते है तो धुआं निकलता है। लेकिन धुआं क्या है वास्तव में कुछ ईंधनों के पूरी तरह से न जलने के कारण ही धुआं बनता है। यदि ईंधन पूरी तरह से जल जाए तो धुंआ पैदा नहीं होगा।

आग जलाने से धुआं क्यों निकलता है
अधिकतर ईंधनों में कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन, नाइट्रोजन और थोड़ी मात्रा में गंधक होता है। यदि इन ईंधनों का पूर्ण दहन हो जाए तो हमें जलने के फलस्वरूप कार्बनडाइआक्साइड, जलवाष्प, और नाइट्रोजन प्राप्त होंगे। सल्फर के जलने से कुछ मात्रा में सल्फर डाइआक्साइड गैस भी निकलती है। ईंधनों के पूरी तरह जलने के लिए बहुत अधिक आक्सीजन की आवश्यकता होती है क्योंकि जलना भी आक्सीकरण (Oxidation) की ही क्रिया है जो आक्सीजन द्वारा पूरी होती है।
जलने के समय आक्सीजन की मात्रा की कमी के कारण ईंधन पूरी तरह नहीं जल पाते और ईंधनों के अधूरे जलने के कारण ही धुआं निकलता है उसमें मुख्य रूप से कार्बनडाइआक्साइड और कार्बन के कण होते हैं। यदि धुएं में पदार्थ के अधजले कणों की संख्या अधिक होती है तो इसका रंग गहरा भूरा या काला हो जाता है। कार्बन के सूक्ष्म कण चिमनियों की दीवारों पर जमा होते रहते हैं। इन्हें कालिख या काजल कहते हैं, अब आप को पता चल गया होगा की धुआं क्या है।
धुएं से होने वाली हानियां
धुएं से हमें बहुत सी हानियां हैं। इससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दीवारों पर कालापन आ जाता है। शहरों में अधिक धुएं के कारण वायुप्रदूषण हो जाता है। यदि बड़े-बड़े शहरों में हवा धुएं को इधर-उधर न फैलाए तो शायद रोज ही कोहरे का वातावरण फैला रहे धुएं के प्रभाव से फेफड़े और हृदय-सम्बन्धी बहुत से रोग पैदा हो जाते हैं। फैक्टरियों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं को समाप्त करने के लिए आज वैज्ञानिक बहुत से तरीकों को प्रयोग में ला रहे हैं।
नोट :- कुछ कामों में धुआं हमारे लिए उपयोगी भी है। सेब के बगीचों को पाले से बचाने के लिए धन दिया जाता है। युद्धकाल में फौजों को दुश्मनों की दृष्टि से बचाने के लिए भी धुआं हमारी मदद करता है। धुएं के कण वर्षा की बंदों को बनाने में भी सहायता करते हैं।