आकाश नीला क्यों दिखाई देता है जबसूर्य से धरती तक आने वाली प्रकाश पृथ्वी के वातावरण में जब प्रवेश करती है तो वातवरण के कणों से टकराकर सूर्य का प्रकाश सभी दिशाओं में छितर (Scatter) जाता है। लेकिन वातावरण के कण श्वेत प्रकाश के नीले रंग को धरती पर परावर्तित कर देते हैं। इसी कारण वर्ष आकाश का रंग हमें नीला दिखाई देता है।

स्वच्छ प्रकाश में नीले रंग का क्या कारण है
हमारी पृथ्वी के चारों ओर वायु का एक आवरण है जिसे हम वायुमण्डल कहते हैं। यह वायुमण्डल नाइट्रोजन, ऑक्सीज़न, कार्बन डाइऑक्साइड, धूल के कण, जलवाष्प और बहुत सी दूसरी गैसों से मिलकर बना है। सूर्य और तारों से आने वाला प्रकाश इस वायुमण्डल से होकर ही हम तक पहुंच पाता है।
धरती को मिलने वाला प्रकाश मुख्य रूप से सूर्य से ही आता है। जब प्रकाश वायुमण्डल में प्रवेश करता है तो वह वायु, धूल और जलवाष्प के अणुओं से टकराता है। इन अणुओं से टकराने के कारण सूर्य का प्रकाश सभी दिशाओं में छितर (Scatter) जाता है। प्रकाश के इसी छितरने के कारण ही सूरज निकलने पर चारों ओर उजाला फैल जाता है।
हम जानते हैं कि सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है। ये रंग हैं बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल। जब प्रकाश की किरणें वायुमण्डल के कणों से टकराती हैं तो इन सात रंगों में से बैंगनी, जामुनी, नीले रंग सबसे अधिक छितरते हैं और लाल सबसे कम प्रकाश के छितरने से हमारी आंखों तक ये तीन रंग ही अधिक मात्रा में पहुंचते हैं। इन तीनों रंगों का मिश्रण लगभग नीला होता है इसीलिए आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
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अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग काला क्यों दिखाई देता है
यदि धरती के चारों ओर वायुमण्डल न होता तो आकाश हमें काला दिखाई देता। यदि हम चन्द्रमा की सतह पर खड़े होकर देखें तो आसमान का रंग काला दिखाई देगा। इसी प्रकार किसी अंतरिक्षयान से देखने पर भी आकाश का रंग काला दिखाई देता है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा के चारों ओर भी कोई वायुमण्डल नहीं है और अंतरिक्षयान भी वायुरहित वातावरण में ही परिक्रमण करते हैं।