हमारी पृथ्वी की सतह मिट्टी से न ढकी होती तो शायद हमारा जीवन ही संभव न होता। बिना मिट्टी के न यो ऐड-पौधे उगते और न नहीं जानवरों और मनुष्यों को भोजन मिलता। यही कारण है कि लोग मिट्टी को जीवनदायिनी मानते हैं तो आइये जानते है मिट्टी कैसे बनती है।

मिट्टी किसे कहते है
धरती का मुलायम और पाउडर जैसा हिस्सा, जिसमें पौधे उगते हैं, मिट्टी कहलाता है। इस मिट्टी का जन्म चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़ों और पेड़-पौधों एवं जानवरों के सड़ने से हुआ है। यह मिट्टी कोई एक दिन में नहीं बनी है, बल्कि इसका बनने का क्रम लाखों वर्षों से ही चलता आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा। अब प्रश्न उठता है कि मिट्टी कैसे बनती है?
मिट्टी कैसे बनती है
लाखों वर्ष पहले मिट्टी इस रूप में नहीं थी बल्कि चट्टानों की शक्ल में थी। वर्षा, हवा, बर्फ, गर्मी, वायु से बने कार्बोनिक अम्ल आदि इन चट्टानों से लगातार टकराते रहे और उन्हें तोड़ते रहे। चट्टानें टूटते-टूटते छोटे-छोटे टकड़ों में बदल गईं और ये छोटे-छोटे टुकड़े बाल में बदल गए। इस बाल से कीचड़ का बना बैक्टीरिया और दूसरे सूक्ष्म जीवों ने चट्टानों से बनी बालू में उपस्थित खनिज पदार्थों को दूसरे जटिल पदार्थों में बदलना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे धरती पर मिट्टी के वे ढेले बन गए जिन्हें हम आज अपने खेतों और बगीचों में देखते हैं।मिट्टी को उपजाऊ कैसे बनाये
अधिक उपजाऊ मिट्टी कैसे बनती है
मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाने का काम बहुत से जानवरों, पेड़-पौधों, कीड़े-मकोड़ों, केंचुओं तथा अनेकों सूक्ष्म जीवों ने किया हैं। ये सब हमारी जमीन पर एक रासायनिक प्रयोगशाला की तरह काम करते हैं। इनका मरना तथा जन्म लेना मिट्टी के निर्माण में योगदान देता है।
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मिट्टी की कितनी सतह होती है
मिट्टी को चार सतहों में बांटा गया है। सबसे ऊपर की सतह को जिसमें पेड़-पौधे उगते हैं, ऊपरी सतह (Top Soil) या A-हॉरीजन (Horizon) कहते हैं। इस सतह में कार्बनिक पदार्थों और ह्यूमस की अधिक मात्रा होती है। इससे निचली सतह को B-हॉरीजन या सब सोइल (Sub-Soil) कहते हैं। इसमें खनिज पदार्थों की बहुतायत होती है। किसान हल जोतकर इन दोनों परतों को मिला लेते हैं। तीसरी परत को C-हॉरीजन कहते हैं। इसमें पत्थरों के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं। सबसे निचली परत को D-हॉरीजन या बैड-रौक कहते हैं। इसमें पत्थर ही पत्थर होते हैं।