लोहे के चाकू, हथौड़े, पेंचकस या किसी अन्य औजार को किसी नमी वाले स्थान में कुछ दिन रख दिया जाये तो इन चीजों पर कत्थई (Brown) रंग की एक परत जम जाती है। इसी को जंग लगना कहते हैं। तुम जानते हो कि जंग क्या है और लोहे पर जंग कैसे लगता है?

जंग का क्या कारण होता है
जंग कैसे लगता है जबकि जंग वास्तव में लोहे का आक्साइड (Oxide of iron) है। जब लोहे के परमाणु आक्सीजन से मिलते यानी संयोग (Combine) करते हैं तो लोहे का आक्साइड बनता है। लोहे के परमाणुओं का आक्सीजन से मिलना आक्सीकरण (Oxidation) की क्रिया कहलाती है। लोहे पर जंग लगने के लिए आक्सीजन और नमी का होना अत्यंत आवश्यक है। सूखे स्थान पर लोहा आक्सीजन से संयोग नहीं करता। नमी और आक्सीजन की उपस्थिति में ही लोहे के परमाणु धीरे-धीरे आक्सीजन से मिलकर लोहे का आक्साइड बनाते रहते हैं और जंग लगने की क्रिया जारी रहती है।
जब लोहे की किसी वस्तु पर जंग लगना शुरू हो जाता है तो धीरे-धीरे यह वस्तु की सारी सतह पर फैल जाता है। जंग पानी को सोखता है और यह पानी उस वस्तु के दूसरे हिस्सों के परमाणुओं को आक्साइड बनने में मदद करता है, इसी प्रकार से जंग पूरी धातु में धीरे-धीरे फ़ैल जाता है।
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लोहे को जंग से बचाने के लिए क्या उपाय है?
जंग लगने को रोकना वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या रही है क्योंकि लोहे से बनी मशीनें, रेलगाड़ियाँ, मोटर, साइकिल, जहाज आदि हजारों चीजें जंग लगने के कारण जल्दी ही खराब हो जाती हैं। लोहे पर जंग लगने को पेन्ट (Paint) या किसी प्लास्टिक की पतली परत चढ़ा कर कुछ हद तक रोका जा सकता है। पेन्ट या प्लास्टिक की पतली परत के कारण लोहे के परमाणु पानी के संपर्क में नहीं आ पाते, इसलिए आक्सीजन लोहे से संयोग नहीं कर पाती और जंग नहीं लग पाता।