धरती गोल है, सूर्य और चन्द्रमा भी गोल है, यहां तक कि सभी ग्रह, उपग्रह और तारों का आकार गोल है। क्या आप जानते हो की ब्रह्माण्ड के सभी ग्रह गोल क्यों हैं

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ब्रह्माण्ड के सभी ग्रह गोल क्यों हैं
विज्ञान के एक सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की हर वस्तु निम्नतम ऊर्जा स्थिति (Minimum Energy State) में रहना चाहती है। न्यूनतम ऊर्जा स्थिति में ही वस्तुओं में अधिकतम स्थिरता (Maximum Stability) आती है। अतः अधिकतम स्थिरता के लिए वस्तु की ऊर्जा निम्नतम होनी चाहिए। अब प्रश्न उठता है कि वस्तुओं के किस रूप में उनकी ऊर्जा न्यूनतम होगी।
सभी रचनाओं में गोले की बनावट ही ऐसी है जिसकी सतह का क्षेत्रफल सबसे कम होता है। इसलिए गोलाकार वस्तुओं की सतह की ऊर्जा निम्नतम होती है। इसी निम्नतम ऊर्जा या अधिकतम स्थिरता को प्राप्त करने के लिए वस्तुएं गेंद जैसा आकार धारण करने की कोशिश करती हैं। यही कारण है कि सूरज, चांद, तारे, धरती और दूसरे सभी खगोलीय पिण्डों की बनावट गोल होती है।
बारिस की बुँदे भी गोल क्यों होती है
वर्षा में गिरने वाली पानी की बूंदें भी गोल होती हैं। इसका कारण भी यही है कि गोलाकार बूंद की सतह की ऊर्जा निम्नतम होती है और उसकी स्थिरता अधिकतम होती है। पानी की किसी भी तरीके से पैदा की जाएं वे तुरन्त ही गोलाकार रूप में बदलने का प्रयास करती हैं।
नोट :- अणु और परमाणु की बनावट भी गोलाकार है। परमाणुओं में उपस्थित इलेक्ट्रोन, प्रोटोन और न्यूट्रान जैसे कण भी गोल हैं।
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तुमने देखा होगा कि मनुष्य भी कम से कम काम करके अधिक से अधिक प्राप्ति करना चाहता है। पढ़ने वाला विद्यार्थी भी कम से कम श्रम शक्ति द्वारा परीक्षा में अधिक से अधिक अंक प्राप्त करना चाहता है। अतः निम्नतम ऊर्जा स्थिति को प्राप्त करने की प्रवृत्ति सभी वस्तुओं में है। जैसे ही कोई वस्तु निम्नतम ऊर्जा स्तर को प्राप्त कर लेती है उसकी बनावट गेंद जैसी गोल हो जाती है।