हमारे शरीर में दो आँखें हैं और दोनों से ही हम वस्तुओं को देखते हैं। एक आँख से देखने पर भी हमें लगभग उतना ही दिखाई देता है जितना दोनों आँखों से इसका कारण यह है कि आँखों के दृष्टि-अक्ष (Visual axes) बदलते रहते हैं और दोनों आँखों से देखते समय रेटिना पर बने वस्तु के प्रतिबिम्बों को मस्तिष्क मिलाकर एक बना देता है। अब प्रश्न उठता है कि हमारे पास दो आंखें क्यों हैं?

इंसान की दो आंखें क्यों होती हैं
यदि हम एक आँख बन्द करके देखें तो दूर की वस्तुएं लगभग उतनी ही स्पष्ट दिखाई देती हैं जितनी कि दोनों आँखों से, लेकिन एक आँख बन्द करके पास की वस्तुओं को देखने में काफी अंतर आ जाता है। बायीं आँख बन्द करने पर हमें बायीं ओर की वस्तुएं नहीं दिखाई देतीं और दायीं आँख बन्द करने पर दायीं ओर की वस्तुएं दिखाई नहीं देतीं। दूरी का सही-सही बोध हमें केवल दोनों आँखों की सहायता से होता है।
उदाहरण :- एक हाथ में एक पिन लो तथा दूसरे हाथ में एक कंघा अब पिन की नोंक को कंधे के किसी दांत की नोंक पर रखकर देखो। तुम्हें यह महसूस होगा कि दोनों आँखों के खुली होने पर नोंक से नोंक मिलाना बहुत आसान काम है, लेकिन एक आँख बन्द होने पर नोंक से नोंक मिलाने में समय लगता है।
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मानव चेहरे में दोनों आंखों के बीच क्या अंतर होता है
एक आँख से देखने पर हमें वस्तुओं के दो आयामों (dimensions) का ही आभास हो पाता है लेकिन दोनों आँखों से देखने पर वस्तु की लम्बाई चौड़ाई और मोटाई तीनों का ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है। बायीं आँख वस्तु के बायें भाग को और दायीं आँख दायें भाग को अधिक देखती है। इस प्रकार दोनों आँखों से देखने पर वस्तु के ठोसपन (Solidity) और गहराई (depth) का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा एक उपयोगिता यह भी हो सकती है कि किसी कारण एक आँख के खराब या नष्ट होने पर आदमी दूसरी आँख से देख सकता है और पूरी तरह अंधा होने से बच जाता है।